रीवा जिले के नरहा ग्राम की शासकीय प्राथमिक पाठशाला की यह स्थिति सचमुच चिंताजनक है। जहां एक छात्र को पढ़ाने के लिए दो शिक्षक तैनात हैं, वहीं पंजीकृत छात्रों की संख्या आधा दर्जन से भी कम है। यह दर्शाता है कि शिक्षा व्यवस्था में गड़बड़ी है और विद्यार्थियों की संख्या में कमी का मुख्य कारण विद्यालयों की अनियमितता हो सकती है।
शिक्षक रामलाल कोल का यह कहना कि दूसरे शिक्षक की तबीयत खराब है, कुछ हद तक समझा जा सकता है, लेकिन इस तरह की समस्याएं अक्सर देखने को मिलती हैं। स्थानीय अभिभावकों की शिकायत सही है, क्योंकि एक छात्र के लिए दो शिक्षकों की तैनाती न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि यह शिक्षा के उद्देश्य को भी बिखेरता है।
इस प्रकार की समस्याओं का मुख्य कारण सरकारी स्कूलों की मॉनीटरिंग में कमी है। बीआरसी, सीएसी, और संकुल प्राचार्य जैसे अधिकारियों का विद्यालयों की वास्तविकता से दूर रहना, शिक्षा की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
अगर इस स्थिति में सुधार नहीं किया गया, तो यह निश्चित रूप से छात्रों की शिक्षा और भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। यह आवश्यक है कि शिक्षा विभाग इस पर ध्यान दे और स्कूलों की नियमित जांच कर यह सुनिश्चित करे कि सभी छात्र शिक्षा के लाभ से वंचित न रहें।