बड़ा सवाल: शिक्षा व्यवस्था में उठापटक का असर
प्रदेश में नवरात्रि के बीच सत्र में चल रही उठापटक का असर अब शिक्षा पर दिखने लगा है। स्कूलों में आधा सत्र गुज़र चुका है और परीक्षाएं मार्च में शुरू होने वाली हैं, लेकिन कोर्स अब भी पीछे चल रहा है।
शिक्षकों की असंतोष की वजहें
स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक विभिन्न कारणों से असंतुष्ट हैं। कुछ शिक्षकों की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है, जबकि कई को नियमित नहीं किया जा रहा है। अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना का मामला भी अब तक हल नहीं हुआ है। कई विषयों में छात्र संख्या कम होने के कारण शिक्षकों के पद खत्म कर दिए गए हैं, जिससे उन्हें ग्रामीण स्कूलों में भेजा गया है। इससे बोर्ड कक्षाओं के विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होने की आशंका है। शिक्षकों का मानना है कि ऐसे निर्णय पहले ही लिए जाने चाहिए थे, न कि बीच सत्र में।
अतिथि शिक्षकों की नियमितीकरण की मांग
बरसों से स्कूलों में पढ़ा रहे अतिथि शिक्षक अब नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ अतिथि शिक्षक शिक्षण व्यवस्था संभाल रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही। वेतन की स्थिति भी चिंताजनक है, और कई शिक्षकों को हटाए जाने की शिकायतें भी आई हैं।
उच्च माध्यमिक चयनित शिक्षकों की समस्या
उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती 2023 के चयनित अभ्यर्थियों में भी नाराजगी है। तीन महीने से नियुक्तियों का इंतज़ार कर रहे इन अभ्यर्थियों ने कई बार प्रदर्शन किया है, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान अब तक नहीं हुआ है।
निष्कर्ष
यह स्थिति शिक्षा के स्तर को प्रभावित कर रही है। सरकार को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि छात्रों की पढ़ाई पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। शिक्षकों की मांगों पर ध्यान देकर ही इस संकट का समाधान किया जा सकता है।