लेटलतीफी: सरकारी स्कूलों में किताबों की कमी

शिक्षा में बाधा: आधा सत्र बीत जाने के बावजूद किताबों का न मिलना

शहर के कई सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को नया सत्र शुरू होने के चार महीने बाद भी कुछ विषयों की किताबें नहीं मिली हैं। इस स्थिति से खासकर वे स्कूल प्रभावित हो रहे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या अधिक है।

स्कूल प्रशासन की दलीलें

स्कूल प्रशासन के अनुसार, किताबें बीआरसी ऑफिस से उपलब्ध नहीं हो पाई हैं, या फिर बच्चों के लगातार एडमिशन की वजह से संख्या बढ़ गई है। कई बच्चों को वर्कबुक नहीं मिली, जो उनके पढ़ाई और लेखन दोनों के लिए आवश्यक हैं। वर्कबुक की अनुपस्थिति के कारण विद्यार्थी अन्य स्कूलों के मुकाबले चार महीने पीछे रह गए हैं, जिससे परीक्षा की तैयारी पर असर पड़ सकता है।

नागझीरी और कोठी रोड के स्कूलों की स्थिति

नागझीरी प्राथमिक माध्यमिक स्कूल में 45 विद्यार्थियों में से सिर्फ 5 को किताबें मिली हैं। विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि किताबें आने पर उन्हें तुरंत प्रदान कर दी जाएंगी। वहीं, कोठी रोड दमदमा के स्कूल में लगभग 153 विद्यार्थियों के लिए संस्कृत की किताबें नहीं आई हैं।

समाधान की आवश्यकता

किताबों के बिना विद्यार्थी पाठ्यक्रम कैसे पूरा करेंगे? अगर कोई विद्यार्थी परीक्षा में असफल होता है, तो उसकी जिम्मेदारी किस पर होगी? स्कूल प्रशासन का कहना है कि वे बीआरसी ऑफिस से लगातार संपर्क में हैं और किताबें जैसे ही आएंगी, उन्हें वितरित कर दिया जाएगा।

निष्कर्ष

यह स्थिति विद्यार्थियों की पढ़ाई में गंभीर बाधा उत्पन्न कर रही है। सरकार और शिक्षा विभाग को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि सभी विद्यार्थियों को समय पर किताबें उपलब्ध हो सकें।

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