इंदौर में 400 से अधिक दृष्टिबाधित छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा देने में राइटर की कमी एक बड़ी चुनौती बन गई है। छात्रों ने मांग की है कि उनकी परीक्षाएं कम्प्यूटर आधारित हों या उन्हें ब्रेल में परीक्षा देने की सुविधा प्रदान की जाए, जिससे राइटर पर निर्भरता खत्म हो सके।
दृष्टिबाधित बच्चों को हमेशा राइटर ढूंढने में कठिनाई होती है। नियमों के अनुसार, उन्हें अपने से एक कक्षा छोटे बच्चे को राइटर बनाना होता है, जो उनका कोई रिश्तेदार न हो। महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की संचालिका डॉली जोशी ने बताया कि यदि छात्रों को ब्रेल में परीक्षा देने का विकल्प दिया जाए और एक ब्रेल शिक्षक उनकी कॉपियों की जांच करे, तो राइटर की समस्या का समाधान हो सकता है।
अधिकांश छात्रों ने बताया कि पिछले वर्ष कई बार राइटर समय पर परीक्षा केंद्र नहीं पहुंच पाए, जिसके कारण उन्हें परीक्षा देने से वंचित रहना पड़ा। विशेष रूप से, 5वीं और 8वीं की परीक्षाओं में राइटर की उपलब्धता और भी कम होती है।
इस समस्या के समाधान के लिए विशेष शिक्षकों की भी कमी देखी जा रही है। स्पेशल एजुकेटर्स की संख्या में कमी के कारण कई स्कूलों को योग्य शिक्षकों की नियुक्ति में दिक्कत हो रही है।
छात्रों ने जोर दिया है कि यदि परीक्षाएं कम्प्यूटर आधारित होतीं, तो उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, जिससे उनकी शिक्षा का स्तर और परिणाम भी बेहतर हो सकते हैं।
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