नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के मद्देनजर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्नातक स्तर पर पढ़ाई कर रहे सभी छात्रों के लिए पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। चाहे छात्र इंजीनियरिंग या प्रबंधन का कोर्स कर रहा हो, उसे अब पर्यावरण से संबंधित विषयों की पढ़ाई करनी होगी।
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को निर्देश दिए हैं कि इस पाठ्यक्रम को लागू किया जाए। छात्रों को पर्यावरण के खतरों के प्रति जागरूक करने और पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए शिक्षा दी जाएगी। इस पढ़ाई को पूरा करने पर छात्रों को चार अतिरिक्त क्रेडिट अंक भी मिलेंगे, जो उनकी अंक सूची और डिग्री में दर्ज किए जाएंगे।
यूजीसी ने इस पहल के तहत पर्यावरण शिक्षा का एक पाठ्यक्रम भी जारी किया है, जिसमें मानव और पर्यावरण के बीच तालमेल, प्रदूषण के खतरे और संबंधित कानूनों जैसे विषय शामिल हैं। छात्रों को चार क्रेडिट अंक प्राप्त करने के लिए 160 घंटे की पर्यावरण शिक्षा लेनी होगी।
यह पहल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर शुरू की गई थी, लेकिन इसे अब प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जो छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक और जिम्मेदार बनाएगा।