नई दिल्ली, 29 सितंबर: केरल हाई कोर्ट ने माता-पिता द्वारा छोटे बच्चों को विरोध प्रदर्शनों में ले जाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि बच्चे धरना, प्रदर्शन या सत्याग्रह के उद्देश्य को नहीं समझते हैं और इस प्रकार उन्हें इस प्रकार के आयोजनों में शामिल करना अनुचित है।
न्यायाधीश पीवी कुन्हीकृष्णन ने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि माता-पिता जानबूझकर बच्चों को विरोध प्रदर्शनों में ले जाते हैं, तो इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। कानून लागू करने वाली एजेंसियों को इस मामले में उचित कार्रवाई का पूरा अधिकार दिया गया है।
कोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला, जैसे तेज गर्मी, स्वच्छता की कमी, भीड़ में बीमारी का जोखिम, और बच्चों की नियमित दिनचर्या में व्यवधान। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को हिंसा का सामना करने का खतरा हो सकता है।
इस प्रकार, कोर्ट ने माता-पिता के कर्तव्य को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्हें बच्चों को धरना-प्रदर्शनों से दूर रखना चाहिए, क्योंकि बच्चे केवल उनके नहीं, बल्कि समाज के भी हिस्से हैं।