“द बेस्ट वे टू प्रिडिक्ट द फ्यूचर इज़ टू क्रिएट इट” : डॉ. राजकुमार मालवीय
इछावर। अपने भविष्य की भविष्यवाणी करने का सबसे अच्छा तरीका इसे बनाना है। अंग्रेजी में कहते हैं “द बेस्ट वे टू प्रिडिक्ट द फ्यूचर इज़ टू क्रिएट इट”। विद्यार्थियों को भविष्य की चिंताओं से मुक्त होकर आगे बढ़ना चाहिए। भविष्य में क्या होगा? यह सोचने के बजाय हमें सकारात्मक कर्म करते जाना चाहिए। ऐसा करने से हमारा भविष्य अपने आप बन जाता है। विद्यार्थियों को जीवन में कभी कोई तनाव लेने की आवश्यकता बिल्कुल नहीं है। जब कभी ‘प्लान – ए’ फेल हो तो याद रखना चाहिए हमारे पास 25 और प्लान है। एकमात्र असफलता हमारे जीवन और भविष्य को निर्धारित नहीं करती। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हमें पढ़ाई नहीं करना है। यह कहना है शिक्षाविद् एवं सामाजिक कार्यकर्ता कर्मयोगी डॉ. राजकुमार मालवीय का। वे शासकीय मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल इछावर के गुरु पूर्णिमा महोत्सव के कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता विद्यार्थियों से संवाद करने पहुंचे। उन्होंने मौजूद शिक्षकों से गैर औपचारिक शिक्षा पर भी कार्य करने के लिए अपील की। विद्यार्थियों को सेवा एवं परोपकार की भावना को स्वयं में धारित करने के मूल मंत्र बताएं। उन्होंने कहा कि जब कभी भी किसी जरूरतमंद, गरीब, असहाय, मजदूर या विकलांग को आपकी आवश्यकता हो तो आप बिना उसके कहे उसकी मदद के लिए आगे आना और उसकी समस्या के समाधान के लिए पूर्ण इच्छा शक्ति के साथ प्रयास करना। जो पढ़ लिखकर बुद्धिजीवी हो जाता है, उसे ऐसे लोगों की सहायता के लिए आवेदन लिखकर शासन-प्रशासन की योजनाओं का लाभ दिलवाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। ऐसा करने से आपको परम आनंद, सुख एवं संतोष की अनुभूति होगी। विद्यालय आने से पूर्व प्रतिदिन प्रातः माता-पिता और घर के बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श करके घर से निकलना चाहिए। संस्कार, सेवा एवं परोपकार को पढ़ाया नहीं जा सकता यह तो मनुष्य का इनबिल्ट फीचर है। हमारे देश में गुरुकुल हुआ करते थे जिसमें शिष्य का सर्वांगीण व्यक्तिव का निर्माण होता था। मैकाले की शिक्षा पद्धति ने हमारा ध्यान सिर्फ आर्थिक मजबूती की ओर केन्द्रित कर दिया और हम इस पद्धति के माध्यम से नौकरी व व्यवसाय पाने लालायित होने लगे। जिससे हमारा सर्वांगीण व्यक्तिव निर्माण बाधित हुआ। आज मनुष्य धैर्य व संयम खोते जा रहा है। उग्र व हिंसक प्रवृत्ति का हो गया है। आदर-सत्कार-सम्मान की भावना का भी क्षय हुआ है। मानवीय संवेदनाओं की हत्या की जा रही है। इनसे निजात पाने के लिए भारतीय समाज को गैर औपचारिक शिक्षा को अपनाने की दिशा में पुनः बढ़ने का समय आ गया है। विद्यालय परिसर में एक पेड़ मां के नाम मुहिम के तहत पौधारोपण भी किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य एलएल दुगरिया, शिक्षकगण शेरसिंह मालवीय , कुमेर सिंह बलोंडिया,अतुल केलोदिया, हेमंत वर्मा, श्रीमती कांता अटेरिया, अभिलाषा श्रीवास्तव व कर्मचारीगण सहित समाजसेवी अनिल मालवीय, जनपद सदस्य अंतर सिंह परमार, जल जीवन मिशन के सामाजिक कार्यकर्ता बलवान ठाकुर, पत्रकार सुरेश मालवीय, वरिष्ठ समाजसेवी मोहन पटेल, झुग्गी संपर्क सीहोर प्रभारी भोलाराम जाटव, अजय अग्रवाल, जीवन पटेल, जितेंद्र विश्वकर्मा आदि मौजूद रहे।